बांड एक ऐसा फाइनेंसियल प्रोडक्ट है जो कम रिस्क पर फिक्स्ड return सुनिश्चित करता है। इसमें रिस्क कम होता है तो इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न भी कम ही मिलता है। लेकिन इसमें रिटर्न साधारणतय फिक्स्ड डिपाजिट से ज्यादा ही होता है।
बांड में निवेश करना अन्य इन्वेस्टमेंट के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। बांड में निवेशक लम्बी अवधि के लिए इन्वेस्ट करते है। इसमें इक्विटी हिस्सेदारी के विपरीत कंपनी में आपकी लेनदार की हिस्सेदारी होगी।
बांड्स क्या होते हैं ?
बांड्स एक इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट है जिसमे निवेशक कंपनी को पैसे उधार देता है और बदले में निवेशक को अपनी मूल धनराशि पर आकर्षक ब्याज मिलता है जिसे कंपनी मासिक , अर्ध वार्षिक या वार्षिक देती है। बांड्स सरकारों ,राज्यों , नगर पालिकाओं और निजी कम्पनियों द्वारा जारी किये जाते हैं। इनकी समय सीमा 5 से 7 साल तक हो सकती है।
जब भी कंपनी या सरकार को पैसो की जरूरत होती है तो अक्सर वो बैंक से लोन ना ले कर पब्लिक से पैसे उधार लेते है। और इन पैसो से वो अपने प्रोजेक्ट्स को पूरा करता हैं। चाहे वो सरकार द्वारा रोड बनाना हो या किसी निजी कंपनी द्वारा अपनी किसी बिल्डिंग का निर्माण करवाना हो। इन सभी परिस्तिथियों में वो बांड्स जारी कर अपने रुके हुए कामो के लिए फण्ड इकट्ठा करते है
Types of Bonds
मार्किट में कई तरह के बांड उपलब्ध हैं। सभी बांड्स की समय सीमा , फ्लेक्सिबिलिटी , कीमतें और ब्याज दर अलग अलग होती हैं। तो आइये जानते मार्किट में कितनी तरह के बांड्स उपलब्ध हैं :

कॉर्पोरेट बांड्स
यह बांड्स कम्पनयों द्वारा फंड्स जुटाने के लिए जारी किये जाते हैं। जो एक निश्चित अवधि के लिए निवेशकों से पैसे उधार लेने के लिए जारी होते हैं। इसमें पालिसी के मैच्योर होने पर निवेशकों को कंपनी की फेस वैल्यू के आधार पर इन्वेस्टमेंट के पैसे और ब्याज मिलता है।
गवर्नमेंट सिक्योरिटी बांड्स
जिस तरह किसी कंपनी को अपने खर्चे या मैनेजमेंट के लिए फंड्स की जरूरत होती है उसी तरह सरकार को भी देश के विकास के लिए चल रही परियोजनाओं के लिए भी फंड्स की जरूरत होती है। तो उन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सरकार बांड्स इशू करती है जिनकी अवधि ५ साल से लेकर ४० साल तक हो सकती है। यह निवेशकों के पसंदीदा बांड्स है। इसे निवेशक सबसे सेफ इन्वेस्टमेंट मानते हैं।
कनवर्टिबल बांड्स
क्यों कि बांड्स कंपनी में हिस्सेदारी के लिए नहीं , लेनदारी के लिए होते हैं तो ऐसे निवेशक जो बांड्स के जरिये कंपनी में हिस्सेदारी की भी इच्छा रखते है यह कनवर्टिबल बांड्स उनके लिए है। इसमें निवेशक एक निश्चित संख्या में ही बांड्स को इक्विटी स्टॉक्स में बदल सकते हैं। और कंपनी के शेयर धारक एबीएन सकते हैं।
जीरो कूपन
इन बांड्स की मैचुरिटीअवधि १ साल से कम की होती है और इन पर ब्याज नहीं दिया जाता। बल्कि निवेशकों को डिस्काउंट रेट उपलब्ध कराया जाता है मतलब कंपनी की फेस वैल्यू से बहुत कम प्राइस पर। यह उन निवेशकों के लिए होते हैं जो कम समय के लिए अपना पैसा बांड्स में लगाना चाहते हैं। सरकार दवारा जारी ट्रेजरी बिल जीरो कूपन का ही एक उदाहरण है।
सॉवरेन -गोल्ड बांड्स
जो लोग डिजिटल गोल्ड में इन्वेस्ट करना चाहते हैं यह बांड्स उनके लिए होता है। यह बांड्स भी सरकार द्वारा जारी किये जाते हैं। इन बांड्स में इन्वेस्ट करने पर सरकार द्वारा टैक्स में छूट भी दी जाती है। इनकी समय सीमा ८ साल तक हो सकती है जिसे आप ५ साल के बाद कभी भी निकल सकते हैं। यह निवेश करने का एक सुरक्षित तरीका है।
फ्लोटिंग रेट सेविंग बांड्स
इन बांड्स को RBI जारी करता है। इन बांड्स की ब्याज दरों में उतार चढ़ाव होता रहता है अथार्त जिस ब्याज दर पर निवेशक बांड्स में निवेश करते हैं वो कम या ज्यादा होती रहती है। इसकी समय सीमा ७ साल तक हो सकती है।
बांड्स में इन्वेस्ट कैसे करें ?
बांड्स में निवेश करना अब बहुत आसान हो गया है। इसके लिए आपको एक डीमैट अकाउंट ओपन करना होगा। कॉर्पोरेट बांड्स और सरकारी बांड्स में निवेश करने के अलग अलग तरीके हैं। जहां कॉर्पोरेट बांड्स में निवेश करने के लिए आपको कंपनी की ओफिसिअल वेबसाइट या ब्राँच ऑफिस विजिट करना होगा वही सरकारी बांड्स में आप डीमैट अकाउंट ओपन कर के भी इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं।
डीमैट अकाउंट के जरिये स्टॉक ब्रोकर आपको बांड्स से सम्बन्धित सभी जानकारियां उपलब्ध कराता है। जिसे आप बड़ी आसानी से पढ़ कर compare करने के बाद निवेश कर सकते हैं।
क्या बांड्स में निवेश करना सुरक्षित है ?
देखिये सभी तरह की इन्वेस्टमेंट जोखिम पर ही आधारित होती हैं। ज्यादा जोखिम ज्यादा रिटर्न , कम जोखिम कम रिटर्न। शेयर मार्किट में कीमतें जहाँ हर रोज ऊपर निचे होती रहती हैं जिसके प्राइस को ले कर कोई भी भविष्याणी नहीं की जा सकती। और ना ही उस से सम्बंधित कंपनी शेयर मार्किट के प्राइस के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन इसके विपरीत बांड्स में फॉर्मल एग्रीमेंट के तहत कंपनी बांड्स होल्डर को उसकी इन्वेस्टमेंट पर एक निश्चित ब्याज देने के लिए बाध्य है। वह उसे देना ही होगा। इसलिए बांड्स अन्य फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित समझा जाता है
लम्बी अवधि के लिए एक निश्चित धनराशि के लिए बांड्स एक सुरक्षित तरीका है। जो आपको बांड के प्रकार के आधार पर आपको निश्चित ब्याज उपलब्ध करता है।
आशा करता हूँ मेरे द्वारा दी गयी यह सब जानकारी आपके काम आएगी। यदि बांड्स से सम्बन्धित आपके कोई सवाल हैं तो कमैंट्स में जरूर लिखें