Gआपने नौकरी या बिज़नेस शुरू कर के पैसा कमाने का पहला कदम तो रख दिया । लेकिन जब तक आप पैसे से पैसा नहीं बनाएंगे तो इन्वेस्टमेंट कैसे सीखेंगे। जी हाँ , जीवन के शुरुआती दौर में नौकरी करना या कोई भी बिज़नेस करना, जिस से पैसा कमाया जा सके ये सब जरूरी है। और जैसे ही आपकी सेविंग्स बढ़ने लगे तो उन सेविंग्स से पैसा बनाना आप को आना चाहिए। जो बुरे वक्त में आपके काम आ सके। पैसे से पैसा कमाना ही इन्वेस्टमेंट है।
लेकिन प्रॉब्लम ये है कि आज कि भाग दौड़ भरी इस ज़िंदगी में सभी लोग अपनी नौकरी और बिज़नेस में इतने उलझे हुए हैं कि उनके पास इतना समय ही नहीं है कि इन्वेस्टमेंट के बारे में सारी जानकारी रख सके। और जानकारी के आभाव में सभी अपना पैसा सेविंग अकाउंट या FD में ही रखना उचित समझते हैं। लेकिन सेविंग अकाउंट में इंटरेस्ट रेट 4 % के आस पास ही होता है और FD में ये 6 % तक पहुंच जाता है। लेकिन ये दोनों ही इन्फ्लेशन रेट जो कि 7.55 % है, से कम है।
इस इन्फ्लेशन रेट से ज्यादा पैसे कमाने के लिए कुछ लोग गोल्ड में इन्वेस्ट करत्ते है कुछ प्रॉपर्टी खरीदते है और कुछ शेयर मार्किट में पैसा लगते है। लेकिन बहुत सारे लोग जानकारी के अभाव में और डर की वजह से अपने पैसे इन्वेस्ट नहीं करते। और यह डर भी सही है। जितनी भी इन्वेस्टमेंट होती हैं उन सब में रिस्क तो जरूर होता है। अब चाहे वो सेविंग अकाउंट में पैसा डालना ही क्यों ना हो। ऐसा बहुत से उदाहरण है जब बैंक भी बंद हो जाते है और उनमे जमा सारा पैसा डूब जाता है।
इन्वेस्टमेंट में जितना रिस्क होता है उतना ही प्रॉफिट भी होता है। मतलब ज्यादा रिस्क ज्यादा प्रॉफिट और कम रिस्क तो प्रॉफिट भी कम । आपने नौकरी या बिज़नेस शुरू कर के पैसे कमाने का पहला कदम तो रख दिया । लेकिन जब तक आप पैसे से पैसा नहीं बनाएंगे तो इन्वेस्टमेंट कैसे सीखेंगे। इन्वेस्टमेंट इसलिए की जाती है ताकि पैसे के लिए दिन रात काम ना करना पड़े। और जब हम बीमार हो या बूढ़े हो जाये तो हमे अपनी जरूरतों के लिए आवश्यक धनराशि मिलती रहे।
पैसे से पैसा बनाना एक कला है यह आपको सीखनी ही होगी। नहीं तो आप सारी ज़िंदगी छोटी से छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी संघर्ष करते रहेंगे। और जीवन आपके लिए एक श्राप बन कर रह जायेगा।
Ashwani Sangwan
लेकिन प्रॉब्लम ये है कि भाग दौड़ भरी इस ज़िंदगी में अपने काम के साथ शेयर मार्किट में लिस्टेड सभी कम्पनियों के बारे में जानकारी रखना संभव नहीं है । लोगो की इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए ही म्यूच्यूअल फण्ड बनाये गए है।
म्यूच्यूअल फण्ड में diversified इंवेस्टमेंट्स की जाती है। मतलब आपके पैसे को एक जगह इन्वेस्टमेंट ना कर के अलग अलग जगह इन्वेस्ट किया जाता है। जिस से आपका रिस्क बहुत ही कम हो जाता है।
इन्वेस्टमेंट में जितना रिस्क होता है उतना ही प्रॉफिट भी होता है। मतलब ज्यादा रिस्क ज्यादा प्रॉफिट और कम रिस्क तो प्रॉफिट भी कम। म्यूच्यूअल फण्ड में अन्य स्टॉक्स के मुकाबले प्रॉफिट कम हो सकता है लेकिन अच्छी बात ये है कि आपको लोस्स होने का खतरा भी कम होता है।
म्यूच्यूअल फण्ड को असेट मैनेजमेंट कंपनियां (AMC ) चलाती हैं। एक AMC कंपनी कई म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम चला सकती हैं। और ये कंपनी आपके पैसे को एक जगह इन्वेस्ट न कर के शेयर मार्किट में अलग अलग जगह इन्वेस्ट करती करती है ताकि रिस्क को कम किया जा सके और अच्छे return मिल सके।
म्यूच्यूअल फण्ड कैसे काम करते हैं ?
किसी भी एसेट मैनेजमेंट कंपनी को म्यूच्यूअल फण्ड चलाने के लिए कम से कम 500 करोड़ रूपए का बजट होना जरूरी है।
म्यूच्यूअल फण्ड में जितने भी निवेशक होते हैं वो सभी आंशिक रूप से फण्ड में मालिकाना हक़ रखते हैं यदि फण्ड में प्रॉफिट होता है तो सभी के साथ शेयर किया जाता है और नुक्सान होता है तो वो भी सभी के साथ शेयर किया जाता है।
क्यों कि फंड्स को अलग अलग तरह के स्टॉक्स में इन्वेस्ट किया जाता है तो उनसे मिलने वाले dividends और बोनस को भी सभी के साथ शेयर किया जाता है।
ऐसे में यदि कोई व्यक्ति म्यूच्यूअल फण्ड से exit करना चाहता है तो फण्ड मैनेजर को कुछ होल्डिंग को पूरा करने के लिए उन्हें ख़त्म करना पड़ सकता है। और यदि एक ही समय में बड़ी संख्या में लोग म्यूच्यूअल फण्ड से exit करते हैं तो फण्ड को घाटा हो सकता है
म्यूच्यूअल फण्ड में क्यों इन्वेस्ट करें ?

इन्वेस्ट करने में आसान : कोई भी पर्सन जिसे शेयर मार्किट की ज्यादा जानकारी ना हो वो भी इसमें इन्वेस्ट कर सकता है। आपको शेयर मार्किट में शामिल सभी कम्पनियों की फाइनेंस पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आपके लिए ये काम AMC करेगी।
इन्वेस्टमेंट के कई ऑप्शन : म्यूच्यूअल फण्ड की सबसे अच्छी बात ये है कि आप अपनी financial जरूरतों और रिस्क को ध्यान में रखते हुए मार्किट में उपलब्ध म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम में से कोई भी अपने लिए चुन सकते हो। जिनमे रिस्क के साथ साथ रिटर्न्स के अभी अलग अलग विकल्प उपलब्ध है।
कम फीस : आपके फण्ड को मैनेज करने के लिए AMC कंपनी कुछ फीस लेती है जिसे म्यूच्यूअल फण्ड एक्सपेंस रेश्यो कहा जाता है। और यह फीस म्यूच्यूअल फण्ड में इनवेस्टेड सभी लोगो में बंट जाती है जिस से यह एक्सपेंस रेश्यो और भी कम हो जाता है। यह आम तौर पर आपके निवेश की 2.5% तक होती है।
पारदर्शिता : एसेट मैनेजमेंट कंपनी अपने पोर्टफोलियो में जितने भी बदलाव करती है वो सभी अपने घोषणा पत्र में हर महीने बताती है और प्रतिदिन के आधार पर NAV (नेट एसेट वैल्यू ) या कीमत भी बताती है।
म्यूच्यूअल फण्ड एंड नेट एसेट वैल्यू (NAV )
अन्य शेयर्स की तुलना में जहां हर मिनट में उतार चढ़ाव होते रहते है वहीँ म्यूच्यूअल फण्ड में ऐसा दिन में बस एक बार होता है और वह भी तब जब बाज़ार बंद हो जाता है।
ट्रेडिंग सत्र के अंत में जो मूल्य निर्धारित किया जाता है उसे नव (नेट एसेट वैल्यू ) कहते हैं।
NAV निकलने का फार्मूला है : फण्ड की टोटल वैल्यू – कुल फण्ड देनदारियां(लिएबिलिटीज़ और डेब्ट ) / स्कीम के बकाया यूनिट की कुल संख्या ।
क्यों कि रिस्क को कम करने के लिए और ज्यादा PROFIT कमाने के लिए :”diversified इंवेस्टमेंट्स” की जाती है। मतलब Fund को एक जगह इन्वेस्टमेंट ना कर के अलग अलग जगह इन्वेस्ट किया जाता है । इसी वजह से म्यूच्यूअल फण्ड अमीर लोगो की भी पहली पसंद है.
Mutual Fund Charges
किसी भी एसेट मैनेजमेंट कंपनी को म्यूच्यूअल फण्ड को मैनेज करने के लिए जितने भी तरह के खर्चे होते हैं उन्हें एक्सपेंस रेश्यो और लोड चार्जेज के रूप में सभी निवेशकों के साथ शेयर किया जाता है। आप जितना भी amount mutual fund में इन्वेस्ट करते हैं उसमे से इन चार्जेज को पहले ही आपके इन्वेस्टमेंट अमाउंट से निकाल लिया जाता है और बचे हुए को ही इन्वेस्ट किया जाता है। उदाहरण के तौर पर यदि आप 100 रूपए इन्वेस्ट करते हो तो 2% चार्जेज काटने के बाद बचे हुए 98 रूपये ही इन्वेस्ट किये जाते हैं। तो आईये जानते हैं expanse ratio और Load Fee के बारे में।
What is Expanse Ratio ?
यह एसेट मैनेजमेंट कंपनी द्वारा म्यूच्यूअल फण्ड के रख रखाव में होने वाले खर्चों के लिए एक वार्षिक शुल्क है। इसमें फण्ड मैनेजमेंट फीस , एलोकेशन चार्जेज , एडवरटाइजिंग लागत आदि शामिल है। यह साधारणतः 1.20% से ले कर 2% तक होती है
what is Load Fee?
जब भी आप म्यूच्यूअल फण्ड के शेयर खरीदते या बेचते है तो सेल्स चार्ज और कमिशन के तौर पर आप से लोड फीस ली जाती है। कुछ म्यूच्यूअल फण्ड ऐसे भी होते है जो लोड फीस नहीं लेते उन्हें नो लोड म्यूच्यूअल फंड्स भी कहा जाता है
म्यूच्यूअल फण्ड में कैसे इन्वेस्ट करें ?
म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट करने के बहुत सरे तरीके हैं :
म्यूच्यूअल फंड्स डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट किया जा सकता है। डिस्ट्रीब्यूटर को एसेट मैनेजमेंट कंपनी चयनित करती है। ये इन्वेस्टर से किसी तरह की कोई फीस नहीं लेते।
आप सीधे AMC ऑफिस में विजिट कर के भी इन्वेस्ट कर सकते हैं। इसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से इन्वेस्ट किया जा सकता है।
आप म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट करने के लिए सेबी द्वारा रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से भी मदद ले सकते है। क्यों कि इन्वेस्टमेंट एडवाइजर को किसी AMC कंपनी से कमिशन नहीं मिलता इसलिए वह आपसे इन्वेस्मेंट सलाह के लिए अपनी फीस ले सकता है।
आप म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्टमेंट करने के लिए अपने बैंक की भी सहायता ले सकते है। ज्यादातर बैंक यह सुविधा अपने कस्टमर्स को उपलब्ध करवाते है। यह ऑनलाइन और ऑफ लाइन दोनों माध्यम से की जा सकती है।
और सबसे आसान और इन्वेस्टर्स द्वारा पसंद किया जाने वाला तरीका है स्टॉक ब्रोकर। आज कल हर स्टॉक ब्रोकर अपने ONLINE PLATFORM/website के माध्यम से यह सुविधा बड़ी सरलता से उपलब्ध करवा रहे हैं। इनमे डाटा को रीड करना और म्यूच्यूअल फंड्स से रिलेटेड सभी डिटेल्स आसानी से compare की जा सकती हैं।
आपको मेरे द्वारा दी गयी यह जानकारी कैसे लगी कृपया कमैंट्स में जरूर बताये इस से मुझे काम करने के लिए प्रेरणा मिलेगी। और हाँ यदि आपके कोई सवाल या सुझाव हैं तो उसे भी कमैंट्स में लिख सकते हैं। आपके द्वारा दिए गए सुझाव पर मैं जरूर काम करूंगा