क्रूड आयल प्राइस के घटने या बढ़ने से शेयर मार्किट में लिस्टेड कंपनी का काम प्रभावित होता है जिसका असर उसके शेयर प्राइस पर भी पड़ता है। यदि आप शेयर मार्किट से अधिकतम लाभ कमाना चाहते है तो क्रूड के प्राइस पर आपकी नज़र होनी जरूर है। क्रूड आयल प्राइस के ऊपर या नीचे जाना संकेत हो सकता है किसी कंपनी में Entry और Exit लेने का।
आज हम चर्चा करेंगे कि क्रूड आयल का प्राइस किन सेक्टर को प्रभावित करता है
Logistics Industry
औसत ग्राहक के दृष्टिकोण से समझे तो तेल की ऊंची कीमतों का मतलब है ट्रांसपोर्टेशन का महंगा होना और ट्रांसपोर्टेशन का महंगा होने से रोज मर्रा में इतेमाल होने वाले सामान का महंगा होना। वास्तव में, तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव उन सभी क्षेत्रों को प्रभावित करता है जो तेल पर निर्भर हैं, जिसमें लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री भी शामिल हैं।क्रूड आयल प्राइस के बढ़ने का सीधा असर आप लोजिस्टिक्स कंपनी के शेयर में भी देख सकते हैं।
Oil Industry
पैट्रॉल और डीजल की कीमतों के बढ़ने से जहां आम आदमी को परेशानी होती है इसके विपरीत आयल कंपनी क्रूड आयल के प्राइस बढ़ने से मोटा पैसा कमाती है।लेकिन निवेश के दृष्टिकोण से देखें तो निवेश करते समय बहुत सावधान रहना चाहिए क्योंकि इस समय इनके शेयर प्राइस में बहुत उतार-चढ़ाव होते हैं और ऐसा बहुत ही कम समय के लिए होता है। मतलब क्रूड आयल प्राइस के आधार पर लम्बे समय के लिए इन कंपनी में निवेश करना सही नहीं है।
Paints Company
पेंट बनाने के लिए कुल कच्चे माल की लागत में से 50%-60% लागत कच्चे तेल पर खर्च होती है। और कच्चे तेल के दाम कभी भी स्थिर नहीं रहते है। और इसका बहुत बड़ा नुक्सान पेंट बनाने वाली कंपनी को भुगतना पड़ता है। तेल की कीमतों में अचानक वृदि से कंपनी के मुनाफे और लाभ मार्जिन पर असर पड़ता है। शेयर मार्किट में पैसा लगाने वाले इन्वेस्टर द्वारा पेंट स्टॉक के प्रति नकारात्मक प्रतिक्रिया का यह मुख्य कारण है।
Tyre Industry
टायरों बनाने वाली कंपनी भी कच्चे तेल के प्रभाव से अछूते नहीं है , टायर बनाने के लिए भी कुल लागत में 50 प्रतिशत हिस्सा कच्चे तेल का होता है। कच्चे तेल का मूल्य बढ़ने से इनके परिचालन लाभ और लाभ मार्जिन पर दबाव हो सकता है। इसका असर शार्ट टर्म के लिए इनके शेयर प्राइस में देखने को मिल सकता है।
Aviation Sector
किसी भी एविएशन कंपनी जैसे Boeing , Airbus , Air India ,Vistara कुछ ऐसे उदाहरण हैं जो कच्चे तेल की कीमतों से सीधे प्रभावित होती है। इन कंपनी में कच्चे माल की लागत का 40% हिस्सा एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) का होता है। जब भी एटीएफ की कीमत में भी बढ़ोतरी होती है , ऐसी कंपनी की लाभप्रदता पर सीधा असर पड़ता हैं। जो आप इनके शेयर प्राइस में भी देख सकते है।
Cement Company
सीमेंट उत्पादन मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन, विशेष रूप से कोयला और पेट कोक से प्राप्त ऊर्जा पर निर्भर करता है, जो कच्चे तेल की कीमतों से जुड़े होते हैं। जैसे-जैसे तेल की कीमतें बढ़ती हैं, इन कच्चे माल की लागत बढ़ती जाती है, जिससे सीमेंट कंपनियों की परिचालन लागत बढ़ जाती है। लेकिन फिर भी कीमतों में वृद्धि से इन कंपनी पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ता। देश के आर्थिक विकास के लिए सरकार रियल एस्टेट क्षेत्र में सहयोग करती रहती है जिस से इस क्षेत्र की लाभप्रदता में मदद मिलती रहती है।
ये बिंदु तेल की कीमतों और इस सेक्टर के वित्तीय प्रदर्शन के बीच जटिल अंतर्संबंध को उजागर करते हैं। निवेशक और विश्लेषक इन सेक्टर में निवेश के बारे में निर्णय लेने के लिए इन कारकों पर बारीकी से नज़र रखते हैं। विविधीकरण और दीर्घकालिक निवेश रणनीति तेल की कीमतों की अस्थिरता और उद्योगों पर उनके प्रभाव से जुड़े जोखिमों को कम करने में मदद कर सकती है।
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